जवां क्रिकेट जवां जोश
एक क्रिकेट विशेषज्ञ ने टेस्ट क्रिकेट को बुढ़ा क्रिकेट,एकदिवसीय क्रिकेट को अधेड़ क्रिकेट और टी -20 को जवां क्रिकेट कहा है। यह सही भी है क्यांकि टी-20 क्रिकेट इस खेल का सबसे जवां फार्मेट में है। लेकिन महज इसलिए नहीं कि अभी इसी क्रिकेट ने अपने पांवो पर खड़ा होना सीखा है बल्कि इसलिए कि यह जवां सोच का क्रिकेट है। जवां इस मायने में की इसकी तकनीकी और सोच युवा खिलाड़ियों से मेल खाती है। इस क्रिकेट ने खिलाड़ियों की औसत उम्र को 30 साल से कम कर दिया है। पहली आईपीएल विजेता राजस्थान राॅयल्स और पहले टी-20 विश्वकप विजेता भारतीय टीम की औसत उम्र 30 से कम थी। यही जवां जोश एक बार फिर अपनी ताकत का अहसास करायेगा जब ईग्लैण्ड में 5 जून से दूसरे टी-20 विश्व कप का आगाज होगा।
बिदाई क्रिकेटरो की
मनीष कुमार जाशी
क्रिकेट के ‘दादा’ सौरव गांगुली मैदान मंे अपनी आखिरी पारी खेल रहे है। कभी क्रिकेट के ’िाखर पर रहे सौरव गांगुली अब अपनी यादगार विदाई की तला’ा मे आस्ट्रेलिया के विरूद्ध टेस्ट सीरीज खेल रहे है। कभी दादा तो कभी महाराज के उपनाम से चर्चित रहे गांगुली को दमदार वापसी के लिए जाना जाता है। वे हर बार अपनी वापसी पर नायक बन कर उभरे परन्तु इस बार वे हमे’ाा के लिए पवेलियन मे बैठने के लिए मैदान में उतर रहे है। विवादो से चोली दामन का साथ रखने वाले गांगुली की विदाई भी विवाद के साथ हो रही है। इसे बीसीसीआई के दबाव का नतीजा माना जा रहा है। क्रिकेट के इस ’िाखर पुरूष की विदाई से क्रिकेट प्रेेमी ख्ुा’ा नहीं है परन्तु दादा अकेले खिलाड़ी नहीं है जिनकी विदाई पर इतना बवाल मचा है । क्रिकेट इतिहास इस बात का गवाह कि क्रिकेट के कई महान खिलाड़ी को कैरियर की विदाई बहुत दुखद रही है।
7 अगस्त से
ओलम्पिक खेल
चीन के बीजींग शहर में 7अगस्त से ओलम्पिक खेल शुरू हो रहे है। इस खेल मेले में दुनिया भर के एथलीट जुटेगे और खेलो के माध्यम से दुनिया को शांति का संदे’ा देर्गें । इ्रडिया स्पोट्र्स की ओलम्पिक खेलो के इतिहास पर एक नजर
राजनैतिक का ओलम्पिक
एक बार फिर दुनिया भर के एथलीट बीजींग में अपने दे’ा की प्रतिष्ठा के लिए खेल के मैदान में संघर्ष कर रहे है और उनके संघर्ष से टपके पसीने से ख्ैालो का रोमांकच पूरी दुनिया की हवा मै तैर रहा है। और पढ़े
विम्बलडन 2008 ने इतिहास दोहराया
राफेल नडान ने दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी रोजर फेडरर को पराजित कर एक ही साल में फ्रेच ओपन और विम्बलडन जीतने का ब्योन बोर्ग को कारनामा दोहरा दिया। वीनस विलियम्स ने विलम्बलडन के संेटर कोर्ट पर अपनी बहिन सेरेना को पराजित कर अपने आपको दोहराया। इस प्रकार 2008 के विम्बलडन ने इतिहास की तारीखो को दोहराया है। पूरा आलेख पढ़ें।
क्रिकेट का मक्का कहे जाने वाले ईग्लैण्ड के मैदान लाॅर्डस में जब कपिल देव ने 25 जून 1983 को क्रिकेट की विश्वकप की ट्राफी अपने हाथ में ली तो यह लम्हा भारतीय क्रिकेट इतिहास की एक सुनहरी दास्तां बन गया। इस लम्हे ने भारतीय क्रिकेट की काया पलट दी। यह जीत केवल भारतीय क्रिकेट की नहीं थी । यह जीत उस समय के भारत के सपनो की जीत थी। उस समय के बदहाल मध्यमवर्गीय युवाओ के लिए जब गर्व करने के लिए कुछ नहीं था तो यह जीत उनके सपनो को साकार करने की प्रेरणा लेकर आई और कपिल देव उस दौर की युवा पीढ़ी का प्रतिनिधि बन गया। पूरा आलेख पढ़े
मनीष के आलेख यू.के. की वेब मेगजीन के कवर पेज पर
इंडिया स्पोटर््स के मानद् संपादकीय सलाहकार और खेलसमीक्षक मनीष कुमार जोशी का आलेख यू.के. की प्रसिद्ध टेनिस वेबसाईट आॅनटेनिस. काॅम ने दिनंाक 26.05.08 को प्रकाशित किया है।इस आलेख को http://ontennis.com/category/main/manish-kumar-joshi पर पढ़ा जा सकता है।
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यूरो कप 08 लाईव स्कोर / कार्यक्रम
कसौटी पर क्रिकेट
छोटी क्रिकेट का बड़ा मजा आईपीएल के रूप में क्रिकेट प्रेमियों ने च्यूंगम की तरह लिया। थिरकती चीयर्स गर्ल, फिल्म सितारो का हजूम और रंगीन नजारो के बीच क्रिकेट वास्तव में छोटा नजर आ रहा था। इस छोटे क्रिकेट ने ही बड़ा कमाल किया और कई छुपे हुए सितारे क्रिकेट आसमान पर टिमटिमाने लगे। अब बांग्लादे’ा में शुरू हो रही है त्रिकोणीय एकदवसीय प्रतियोगिता में छोटी क्रिकेट के इन्ही सितारो की परीक्षा हो रही है। इस सीरीज में जहां क्रिकेट के इन नये सितारो की परीक्षा होगी वहीं क्रिकेट को स्वयं परीक्षा से गुजरना होगा। टी- 20 क्रिकेट की बढ़ती लोकप्रियता के दौर में एकदिवसीय क्रिकेट की लोकप्रियता भी दांव पर होगी।more
खिलाड़ियों की सुरक्षा चिंताऐं
आस्ट्रेलिया के क्रिकेटरो ने पाकिस्तान में सितम्बर में आयोजित होने वाली चैम्पियंस ट्राफी में खेलने से इनकार कर दिया। उन्होन यह कदम हाल ही में पाकिस्तान में आतंकवादीयों द्वारा किये गये बम विस्फोटो के मध्यनजर सुरक्षा कारणो से ‘यह कदम उठाया है। न्यूजीलैण्ड और दक्षिण अफ्रीका के क्रिकेटर भी सुरक्षा कारणो से ऐसा ही कदम उठाने की सोच रहे है। इस कारण से चेम्पियसं ट्राफी का आयोजन खतरे में पड़ गया है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि किसी दे’ा के खिलाड़ियों ने आतंकवादीयो की हिंसक गतिविधियों के मध्यनजर किसी भी प्रतियोगिता में खेलने से इनकार किया है । इससे पहले भी क्रिकेट व अन्य खेलो के खिलाड़ियों ने सुरक्षा कारणो से हिंसा प्रभावित दे’ाो अथवा शहरो में खेलने से इनकार किया है। इस कारण यह प्र’न खड़ा होना लाजिमी है कि कड़े सुरक्षा उपायो के बावजूद खिलाड़ी अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित क्यों होते है ? और मेजबान व खेल संगठन खिलाड़ियों में सुरक्षा का भरोसा पैदा करने में नाकाम्याब क्यों रहे है ? पूरा आलेख पढ़े
विश्वकप 1983 जीत की रजत जयंती